हां, पूरी दुनिया के लिए शक्त
और वे-अदब,
और वे-अदब,
पर तेरे खातिर तो पिघल
जाया करता था।
जाया करता था।
हां ये सच है के दुनिया
के बंदिशों को तोड़,
के बंदिशों को तोड़,
ये दिल तेरे साथ जीने के
लिए मरता था।
लिए मरता था।
क्या बताऊं हाल-ए-दिल का
कैसे बताऊं सोचता था,
कैसे बताऊं सोचता था,
जब जब तेरा चेहरा मेरे
सामने आया करता था।
सामने आया करता था।
दुनियां के रसों रिवाजों
को भी नजरअंदाज करता था,
को भी नजरअंदाज करता था,
तेरे इश्क़ की बीमारी में
जो तड़प तड़प कर मरता था।
जो तड़प तड़प कर मरता था।
खुदको खुद में खोकर भी
में बड़े शान से जीता था,
में बड़े शान से जीता था,
तेरे निगाहों को देखे जो
मेरा हाल बेहाल होता था।
मेरा हाल बेहाल होता था।
नफरत की इस दुनिया हमको
प्यारा लगने लगा था,
प्यारा लगने लगा था,
जबसे तुमने चेहरा अपने
हाथों से निखारा था।
हाथों से निखारा था।
तेरे क़यामत बाहों पर ही
समेट जाऊं सोचता था,
समेट जाऊं सोचता था,
जब तू बिखरे जुल्फें लिए
मेरे गलियों से गुजरता था।
मेरे गलियों से गुजरता था।
कैसे कहूँ ए दिलरुबा ये
दिल क्या क्या चाहता था,
दिल क्या क्या चाहता था,
तेरे अन्दर ही समा जाऊं
ये खयाल जहन में आता था।
ये खयाल जहन में आता था।
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HY