कभी दोस्त बन कर साथ निभाता है,
फिर कभी भाई बन कर मुस्कुराना सिखाता है।
ख्वाहिशें हो अगर चाँद को तोड़ लाने की,
तो बाप बन कर पूरा आसमान कदमों तले ले आता है।
दर्द और आसुओं के अंधेरों में खो कर भी,
अपनों के अंदर उम्मीद का चिराग जलाता है।
अपनी खुशियों को दूसरों पर निछावर कर के,
प्यार और मोहब्बत का पैग़ाम लाता है।
बाहर से पत्थर सा कठोर दिखने वाला इंसान,
असल में अंदर से नाजुक होता है।
अपनी मोहब्बत के खातिर जो
पूरी दुनिया से भी झगड़ सकता है।
जिंदगी के संघर्ष और जिम्मेदारियों में जूझे,
वो नन्हा बच्चा आदमी बन जाता है।
#International Men's Day 2020
No comments:
Post a Comment
HY