मेरे इश्क़ की कश्ती को डुबाने की साजिश थी । मेरे दिल की टुकड़ों पर जो महफ़िल सजाने की कोशिश थी। परवा कहां था उनको मेरे बुरे हालात की ! वो सिर्फ़ मुस्कुरा कर निकल गए जब ज्यादा जरूरत उनकी थी।
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